जी हाँ , मुझे भी लगा. मैं भी वो नाराजगी वाले हिंदी के ब्लोग का हिस्सा बनू। वैसे मेरे पास एक अंग्रेजी ब्लोग भी है, पर इसको उससे अलग रखना अभी बेहतर है
हाँ तो कहॉ से शुरू करें। तब से जब से मुझे याद है मेरा दिमाग कुछ सोचता था । या तब से जब से कुछ बडे परिवर्तन हुए, जैसे की कालेज डिग्री या शादी या विदेश मैं रहना
पता नही कब से. पर मुझे लगता है . मैं कभी भी अपने बारें मे लिखना ज्यादा पसंद नही करती।
कोशिश करती हूँ। कम शब्दों मैं ज्यादा कहने की।
तमन्ना : इतनी बड़ी बनू की देश के हर गरीब आदमी कि मदद कर सकूं । अभी तक तो सिर्फ अपनी ही मदद करने के लायक बनी हूँ। देखे आगे क्या करती हूँ।
पसंद : सफ़ाई, खाना बनाना , पेंटिंग , लेखन
खासियत : कुछ इतना पढ़ लिया है । कि लगता है अपने आपको जान गयी हूँ, जीवन के रहस्य को थोडा समझने लगी हूँ। यह कुदरत जिसमे हम रहते तो हैं उससे थोडा जुड़ गयी हूँ
कमजोरी : रुदिवादी , जी हाँ कुछ हद तक मैं खुद को रुदिवादी कहूँगी..क्यूंकि कुछ संस्कारों को मैं आम आदमी से जयादा मानती हूँ।
जीवन का आदर्श : कुछ इस तरह जियो कि जिंदगी को नाज़ हो तुम पे।
शादी के बारें मे मेरी राय : यह खुबसुरत बन्धन है , जिसमे स्वार्थ और उम्मीदें जितनी कम हो, खुशियाँ उतनी ही जयादा होंगी
Monday, April 16, 2007
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